Original

वासुदेव उवाच ।मातरं सर्वभूतानां पृच्छे त्वा संशयं शुभे ।केन स्वित्कर्मणा पापं व्यपोहति नरो गृही ॥ २० ॥

Segmented

वासुदेव उवाच मातरम् सर्व-भूतानाम् पृच्छे त्वा संशयम् शुभे केन स्वित् कर्मणा पापम् व्यपोहति नरो गृही

Analysis

Word Lemma Parse
वासुदेव वासुदेव pos=n,g=m,c=1,n=s
उवाच वच् pos=v,p=3,n=s,l=lit
मातरम् मातृ pos=n,g=f,c=2,n=s
सर्व सर्व pos=n,comp=y
भूतानाम् भूत pos=n,g=n,c=6,n=p
पृच्छे प्रच्छ् pos=v,p=1,n=s,l=lat
त्वा त्वद् pos=n,g=,c=2,n=s
संशयम् संशय pos=n,g=m,c=2,n=s
शुभे शुभ pos=a,g=f,c=8,n=s
केन pos=n,g=n,c=3,n=s
स्वित् स्विद् pos=i
कर्मणा कर्मन् pos=n,g=n,c=3,n=s
पापम् पाप pos=n,g=n,c=2,n=s
व्यपोहति व्यपोह् pos=v,p=3,n=s,l=lat
नरो नर pos=n,g=m,c=1,n=s
गृही गृहिन् pos=n,g=m,c=1,n=s