महाभारतम् — 13.27.103
Original
Segmented
तस्मात् त्वम् अपि कौन्तेय भक्त्या परमया युतः गङ्गाम् अभ्येहि सततम् प्राप्स्यसे सिद्धिम् उत्तमाम्
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
तस्मात् | तस्मात् | pos=i |
त्वम् | त्वद् | pos=n,g=,c=1,n=s |
अपि | अपि | pos=i |
कौन्तेय | कौन्तेय | pos=n,g=m,c=8,n=s |
भक्त्या | भक्ति | pos=n,g=f,c=3,n=s |
परमया | परम | pos=a,g=f,c=3,n=s |
युतः | युत | pos=a,g=m,c=1,n=s |
गङ्गाम् | गङ्गा | pos=n,g=f,c=2,n=s |
अभ्येहि | अभी | pos=v,p=2,n=s,l=lot |
सततम् | सततम् | pos=i |
प्राप्स्यसे | प्राप् | pos=v,p=2,n=s,l=lrt |
सिद्धिम् | सिद्धि | pos=n,g=f,c=2,n=s |
उत्तमाम् | उत्तम | pos=a,g=f,c=2,n=s |