Original

गार्ग्य उवाच ।चतुःषष्ट्यङ्गमददात्कालज्ञानं ममाद्भुतम् ।सरस्वत्यास्तटे तुष्टो मनोयज्ञेन पाण्डव ॥ २५ ॥

Segmented

गार्ग्य उवाच चतुष्षष्टि-अङ्गम् अददात् काल-ज्ञानम् मे अद्भुतम् सरस्वत्याः तटे तुष्टो मनः-यज्ञेन पाण्डव

Analysis

Word Lemma Parse
गार्ग्य गार्ग्य pos=n,g=m,c=1,n=s
उवाच वच् pos=v,p=3,n=s,l=lit
चतुष्षष्टि चतुःषष्टि pos=n,comp=y
अङ्गम् अङ्ग pos=n,g=n,c=2,n=s
अददात् दा pos=v,p=3,n=s,l=lan
काल काल pos=n,comp=y
ज्ञानम् ज्ञान pos=n,g=n,c=2,n=s
मे मद् pos=n,g=,c=6,n=s
अद्भुतम् अद्भुत pos=a,g=n,c=2,n=s
सरस्वत्याः सरस्वती pos=n,g=f,c=6,n=s
तटे तट pos=n,g=n,c=7,n=s
तुष्टो तुष् pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part
मनः मनस् pos=n,comp=y
यज्ञेन यज्ञ pos=n,g=m,c=3,n=s
पाण्डव पाण्डव pos=n,g=m,c=8,n=s