महाभारतम् — 13.18.17
Original
Segmented
रथन्तरम् द्विजश्रेष्ठ न सम्यग् इति वर्तते समीक्षस्व पुनः बुद्ध्या हर्षम् त्यक्त्वा द्विजोत्तम अ यज्ञ-वाहिनम् पापम् अकार्षीः त्वम् सु दुर्मति
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
रथन्तरम् | रथंतर | pos=n,g=n,c=1,n=s |
द्विजश्रेष्ठ | द्विजश्रेष्ठ | pos=n,g=m,c=8,n=s |
न | न | pos=i |
सम्यग् | सम्यक् | pos=i |
इति | इति | pos=i |
वर्तते | वृत् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
समीक्षस्व | समीक्ष् | pos=v,p=2,n=s,l=lot |
पुनः | पुनर् | pos=i |
बुद्ध्या | बुद्धि | pos=n,g=f,c=3,n=s |
हर्षम् | हर्ष | pos=n,g=m,c=2,n=s |
त्यक्त्वा | त्यज् | pos=vi |
द्विजोत्तम | द्विजोत्तम | pos=n,g=m,c=8,n=s |
अ | अ | pos=i |
यज्ञ | यज्ञ | pos=n,comp=y |
वाहिनम् | वाहिन् | pos=a,g=m,c=2,n=s |
पापम् | पाप | pos=a,g=m,c=2,n=s |
अकार्षीः | कृ | pos=v,p=2,n=s,l=lun |
त्वम् | त्वद् | pos=n,g=,c=1,n=s |
सु | सु | pos=i |
दुर्मति | दुर्मति | pos=a,g=m,c=8,n=s |