Original

महेश्वर उवाच ।वानप्रस्थेषु यो धर्मस्तं मे शृणु समाहिता ।श्रुत्वा चैकमना देवि धर्मबुद्धिपरा भव ॥ ४ ॥

Segmented

महेश्वर उवाच वानप्रस्थेषु यो धर्मः तम् मे शृणु समाहिता श्रुत्वा च एकमनाः देवि धर्म-बुद्धि-परा भव

Analysis

Word Lemma Parse
महेश्वर महेश्वर pos=n,g=m,c=1,n=s
उवाच वच् pos=v,p=3,n=s,l=lit
वानप्रस्थेषु वानप्रस्थ pos=n,g=m,c=7,n=p
यो यद् pos=n,g=m,c=1,n=s
धर्मः धर्म pos=n,g=m,c=1,n=s
तम् तद् pos=n,g=m,c=2,n=s
मे मद् pos=n,g=,c=6,n=s
शृणु श्रु pos=v,p=2,n=s,l=lot
समाहिता समाहित pos=a,g=f,c=1,n=s
श्रुत्वा श्रु pos=vi
pos=i
एकमनाः एकमनस् pos=a,g=f,c=1,n=s
देवि देवी pos=n,g=f,c=8,n=s
धर्म धर्म pos=n,comp=y
बुद्धि बुद्धि pos=n,comp=y
परा पर pos=n,g=f,c=1,n=s
भव भू pos=v,p=2,n=s,l=lot