महाभारतम् — 13.116.1
Original
Segmented
युधिष्ठिर उवाच अहिंसा परमो धर्म इति उक्तम् बहुशस् त्वया श्राद्धेषु च भवान् आह पितॄन् आमिष-काङ्क्षिन्
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
युधिष्ठिर | युधिष्ठिर | pos=n,g=m,c=1,n=s |
उवाच | वच् | pos=v,p=3,n=s,l=lit |
अहिंसा | अहिंसा | pos=n,g=f,c=1,n=s |
परमो | परम | pos=a,g=m,c=1,n=s |
धर्म | धर्म | pos=n,g=m,c=1,n=s |
इति | इति | pos=i |
उक्तम् | वच् | pos=va,g=n,c=1,n=s,f=part |
बहुशस् | बहुशस् | pos=i |
त्वया | त्वद् | pos=n,g=,c=3,n=s |
श्राद्धेषु | श्राद्ध | pos=n,g=n,c=7,n=p |
च | च | pos=i |
भवान् | भवत् | pos=a,g=m,c=1,n=s |
आह | अह् | pos=v,p=3,n=s,l=lit |
पितॄन् | पितृ | pos=n,g=m,c=2,n=p |
आमिष | आमिष | pos=n,comp=y |
काङ्क्षिन् | काङ्क्षिन् | pos=a,g=m,c=2,n=p |