महाभारतम् — 13.110.24
Original
Segmented
सदा त्रिषवण-स्नायी ब्रह्मचारी अनसूयकः गवामयस्य यज्ञस्य फलम् प्राप्नोति अनुत्तमम्
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
सदा | सदा | pos=i |
त्रिषवण | त्रिषवण | pos=n,comp=y |
स्नायी | स्नायिन् | pos=a,g=m,c=1,n=s |
ब्रह्मचारी | ब्रह्मचारिन् | pos=n,g=m,c=1,n=s |
अनसूयकः | अनसूयक | pos=a,g=m,c=1,n=s |
गवामयस्य | गवामय | pos=n,g=m,c=6,n=s |
यज्ञस्य | यज्ञ | pos=n,g=m,c=6,n=s |
फलम् | फल | pos=n,g=n,c=2,n=s |
प्राप्नोति | प्राप् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
अनुत्तमम् | अनुत्तम | pos=a,g=n,c=2,n=s |