Original

कानीह भूतान्युपसेवसे त्वं संतिष्ठती कानि न सेवसे त्वम् ।तानि त्रिलोकेश्वरभूतकान्ते तत्त्वेन मे ब्रूहि महर्षिकन्ये ॥ ४ ॥

Segmented

कानि इह भूतानि उपसेवसे त्वम् संतिष्ठती कानि न सेवसे त्वम् तानि त्रि-लोक-ईश्वर-भूत-कान्ते तत्त्वेन मे ब्रूहि महा-ऋषि-कन्ये

Analysis

Word Lemma Parse
कानि pos=n,g=n,c=2,n=p
इह इह pos=i
भूतानि भूत pos=n,g=n,c=2,n=p
उपसेवसे उपसेव् pos=v,p=2,n=s,l=lat
त्वम् त्वद् pos=n,g=,c=1,n=s
संतिष्ठती संस्था pos=va,g=f,c=1,n=s,f=part
कानि pos=n,g=n,c=2,n=p
pos=i
सेवसे सेव् pos=v,p=2,n=s,l=lat
त्वम् त्वद् pos=n,g=,c=1,n=s
तानि तद् pos=n,g=n,c=2,n=p
त्रि त्रि pos=n,comp=y
लोक लोक pos=n,comp=y
ईश्वर ईश्वर pos=n,comp=y
भूत भूत pos=n,comp=y
कान्ते कान्त pos=a,g=f,c=8,n=s
तत्त्वेन तत्त्व pos=n,g=n,c=3,n=s
मे मद् pos=n,g=,c=4,n=s
ब्रूहि ब्रू pos=v,p=2,n=s,l=lot
महा महत् pos=a,comp=y
ऋषि ऋषि pos=n,comp=y
कन्ये कन्या pos=n,g=f,c=8,n=s