Original

धृतराष्ट्र उवाच ।शतवर्षजीवी यश्च शूरो मनुष्यो वेदाध्यायी यश्च यज्वाप्रमत्तः ।एते सर्वे शक्रलोकं व्रजन्ति परं गन्ता धृतराष्ट्रो न तत्र ॥ ३९ ॥

Segmented

धृतराष्ट्र उवाच शत-वर्ष-जीवी यः च शूरो मनुष्यो वेद-अध्यायी यः च यज्वा अप्रमत्तः एते सर्वे शक्र-लोकम् व्रजन्ति परम् गन्ता धृतराष्ट्रो न तत्र

Analysis

Word Lemma Parse
धृतराष्ट्र धृतराष्ट्र pos=n,g=m,c=1,n=s
उवाच वच् pos=v,p=3,n=s,l=lit
शत शत pos=n,comp=y
वर्ष वर्ष pos=n,comp=y
जीवी जीविन् pos=a,g=m,c=1,n=s
यः यद् pos=n,g=m,c=1,n=s
pos=i
शूरो शूर pos=n,g=m,c=1,n=s
मनुष्यो मनुष्य pos=n,g=m,c=1,n=s
वेद वेद pos=n,comp=y
अध्यायी अध्यायिन् pos=a,g=m,c=1,n=s
यः यद् pos=n,g=m,c=1,n=s
pos=i
यज्वा यज्वन् pos=n,g=m,c=1,n=s
अप्रमत्तः अप्रमत्त pos=a,g=m,c=1,n=s
एते एतद् pos=n,g=m,c=1,n=p
सर्वे सर्व pos=n,g=m,c=1,n=p
शक्र शक्र pos=n,comp=y
लोकम् लोक pos=n,g=m,c=2,n=s
व्रजन्ति व्रज् pos=v,p=3,n=p,l=lat
परम् परम् pos=i
गन्ता गम् pos=v,p=3,n=s,l=lrt
धृतराष्ट्रो धृतराष्ट्र pos=n,g=m,c=1,n=s
pos=i
तत्र तत्र pos=i