Original

लुब्धक उवाच ।वृत्रं हत्वा देवराट्श्रेष्ठभाग्वै यज्ञं हत्वा भागमवाप चैव ।शूली देवो देववृत्तं कुरु त्वं क्षिप्रं सर्पं जहि मा भूद्विशङ्का ॥ २५ ॥

Segmented

लुब्धक उवाच वृत्रम् हत्वा देवराट् श्रेष्ठ-भाज् वै यज्ञम् हत्वा भागम् अवाप च एव शूली देवो देव-वृत्तम् कुरु त्वम् क्षिप्रम् सर्पम् जहि मा भूद् विशङ्का

Analysis

Word Lemma Parse
लुब्धक लुब्धक pos=n,g=m,c=1,n=s
उवाच वच् pos=v,p=3,n=s,l=lit
वृत्रम् वृत्र pos=n,g=m,c=2,n=s
हत्वा हन् pos=vi
देवराट् देवराज् pos=n,g=m,c=1,n=s
श्रेष्ठ श्रेष्ठ pos=a,comp=y
भाज् भाज् pos=a,g=m,c=1,n=s
वै वै pos=i
यज्ञम् यज्ञ pos=n,g=m,c=2,n=s
हत्वा हन् pos=vi
भागम् भाग pos=n,g=m,c=2,n=s
अवाप अवाप् pos=v,p=3,n=s,l=lit
pos=i
एव एव pos=i
शूली शूलिन् pos=n,g=m,c=1,n=s
देवो देव pos=n,g=m,c=1,n=s
देव देव pos=n,comp=y
वृत्तम् वृत् pos=va,g=m,c=2,n=s,f=part
कुरु कृ pos=v,p=2,n=s,l=lot
त्वम् त्वद् pos=n,g=,c=1,n=s
क्षिप्रम् क्षिप्रम् pos=i
सर्पम् सर्प pos=n,g=m,c=2,n=s
जहि हा pos=v,p=2,n=s,l=lot
मा मा pos=i
भूद् भू pos=v,p=3,n=s,l=lun_unaug
विशङ्का विशङ्का pos=n,g=f,c=1,n=s