महाभारतम् — 13.1.14
Original
Segmented
गौतमी उवाच विसृज एनम् अबुद्धि त्वम् न वध्यो ऽर्जुनक त्वया को हि आत्मानम् गुरुम् कुर्यात् प्राप्तव्ये सति चिन्तयन्
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
गौतमी | गौतमी | pos=n,g=f,c=1,n=s |
उवाच | वच् | pos=v,p=3,n=s,l=lit |
विसृज | विसृज् | pos=v,p=2,n=s,l=lot |
एनम् | एनद् | pos=n,g=m,c=2,n=s |
अबुद्धि | अबुद्धि | pos=a,g=m,c=1,n=s |
त्वम् | त्वद् | pos=n,g=,c=1,n=s |
न | न | pos=i |
वध्यो | वध् | pos=va,g=m,c=1,n=s,f=krtya |
ऽर्जुनक | अर्जुनक | pos=n,g=m,c=8,n=s |
त्वया | त्वद् | pos=n,g=,c=3,n=s |
को | क | pos=n,g=m,c=1,n=s |
हि | हि | pos=i |
आत्मानम् | आत्मन् | pos=n,g=m,c=2,n=s |
गुरुम् | गुरु | pos=n,g=m,c=2,n=s |
कुर्यात् | कृ | pos=v,p=3,n=s,l=vidhilin |
प्राप्तव्ये | प्राप् | pos=va,g=n,c=7,n=s,f=krtya |
सति | अस् | pos=va,g=n,c=7,n=s,f=part |
चिन्तयन् | चिन्तय् | pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part |