महाभारतम् — 12.99.27
Original
Segmented
भर्तुः अर्थे तु यः शूरो विक्रमेद् वाहिनी-मुखे भयात् न च निवर्तेत तस्य लोका यथा मम
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
भर्तुः | भर्तृ | pos=n,g=m,c=6,n=s |
अर्थे | अर्थ | pos=n,g=m,c=7,n=s |
तु | तु | pos=i |
यः | यद् | pos=n,g=m,c=1,n=s |
शूरो | शूर | pos=n,g=m,c=1,n=s |
विक्रमेद् | विक्रम् | pos=v,p=3,n=s,l=vidhilin |
वाहिनी | वाहिनी | pos=n,comp=y |
मुखे | मुख | pos=n,g=n,c=7,n=s |
भयात् | भय | pos=n,g=n,c=5,n=s |
न | न | pos=i |
च | च | pos=i |
निवर्तेत | निवृत् | pos=v,p=3,n=s,l=vidhilin |
तस्य | तद् | pos=n,g=m,c=6,n=s |
लोका | लोक | pos=n,g=m,c=1,n=p |
यथा | यथा | pos=i |
मम | मद् | pos=n,g=,c=6,n=s |