महाभारतम् — 12.97.8
Original
Segmented
अनीकयोः संहतयोः यदि ईयात् ब्राह्मणो ऽन्तरा शान्तिम् इच्छन्न् उभयतो न योद्धव्यम् तदा भवेत् मर्यादाम् शाश्वतीम् भिन्द्याद् ब्राह्मणम् यो ऽभिलङ्घयेत्
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
अनीकयोः | अनीक | pos=n,g=m,c=6,n=d |
संहतयोः | संहन् | pos=va,g=m,c=6,n=d,f=part |
यदि | यदि | pos=i |
ईयात् | इ | pos=v,p=3,n=s,l=vidhilin |
ब्राह्मणो | ब्राह्मण | pos=n,g=m,c=1,n=s |
ऽन्तरा | अन्तरा | pos=i |
शान्तिम् | शान्ति | pos=n,g=f,c=2,n=s |
इच्छन्न् | इष् | pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part |
उभयतो | उभयतस् | pos=i |
न | न | pos=i |
योद्धव्यम् | युध् | pos=va,g=n,c=1,n=s,f=krtya |
तदा | तदा | pos=i |
भवेत् | भू | pos=v,p=3,n=s,l=vidhilin |
मर्यादाम् | मर्यादा | pos=n,g=f,c=2,n=s |
शाश्वतीम् | शाश्वत | pos=a,g=f,c=2,n=s |
भिन्द्याद् | भिद् | pos=v,p=3,n=s,l=vidhilin |
ब्राह्मणम् | ब्राह्मण | pos=n,g=m,c=2,n=s |
यो | यद् | pos=n,g=m,c=1,n=s |
ऽभिलङ्घयेत् | अभिलङ्घय् | pos=v,p=3,n=s,l=vidhilin |