Original

युधिष्ठिर उवाच ।राष्ट्रगुप्तिं च मे राजन्राष्ट्रस्यैव च संग्रहम् ।सम्यग्जिज्ञासमानाय प्रब्रूहि भरतर्षभ ॥ १ ॥

Segmented

युधिष्ठिर उवाच राष्ट्र-गुप्तिम् च मे राजन् राष्ट्रस्य एव च संग्रहम् सम्यग् जिज्ञासमानाय प्रब्रूहि भरत-ऋषभ

Analysis

Word Lemma Parse
युधिष्ठिर युधिष्ठिर pos=n,g=m,c=1,n=s
उवाच वच् pos=v,p=3,n=s,l=lit
राष्ट्र राष्ट्र pos=n,comp=y
गुप्तिम् गुप्ति pos=n,g=f,c=2,n=s
pos=i
मे मद् pos=n,g=,c=6,n=s
राजन् राजन् pos=n,g=m,c=8,n=s
राष्ट्रस्य राष्ट्र pos=n,g=n,c=6,n=s
एव एव pos=i
pos=i
संग्रहम् संग्रह pos=n,g=m,c=2,n=s
सम्यग् सम्यक् pos=i
जिज्ञासमानाय जिज्ञास् pos=va,g=m,c=4,n=s,f=part
प्रब्रूहि प्रब्रू pos=v,p=2,n=s,l=lot
भरत भरत pos=n,comp=y
ऋषभ ऋषभ pos=n,g=m,c=8,n=s