Original

स्वासु प्रकृतिषु छिद्रं लक्षयेरन्परस्य च ।मन्त्रिणो मन्त्रमूलं हि राज्ञो राष्ट्रं विवर्धते ॥ ४५ ॥

Segmented

स्वासु प्रकृतिषु छिद्रम् लक्षयेरन् परस्य च मन्त्रिणो मन्त्र-मूलम् हि राज्ञो राष्ट्रम् विवर्धते

Analysis

Word Lemma Parse
स्वासु स्व pos=a,g=f,c=7,n=p
प्रकृतिषु प्रकृति pos=n,g=f,c=7,n=p
छिद्रम् छिद्र pos=n,g=n,c=2,n=s
लक्षयेरन् लक्षय् pos=v,p=3,n=p,l=vidhilin
परस्य पर pos=n,g=m,c=6,n=s
pos=i
मन्त्रिणो मन्त्रिन् pos=n,g=m,c=6,n=s
मन्त्र मन्त्र pos=n,comp=y
मूलम् मूल pos=n,g=n,c=1,n=s
हि हि pos=i
राज्ञो राजन् pos=n,g=m,c=6,n=s
राष्ट्रम् राष्ट्र pos=n,g=n,c=1,n=s
विवर्धते विवृध् pos=v,p=3,n=s,l=lat