महाभारतम् — 12.71.1
Original
Segmented
युधिष्ठिर उवाच केन वृत्तेन वृत्त-ज्ञ वर्तमानो महीपतिः सुखेन अर्थान् सुख-उदर्कान् इह च प्रेत्य च आप्नुयात्
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
युधिष्ठिर | युधिष्ठिर | pos=n,g=m,c=1,n=s |
उवाच | वच् | pos=v,p=3,n=s,l=lit |
केन | क | pos=n,g=n,c=3,n=s |
वृत्तेन | वृत्त | pos=n,g=n,c=3,n=s |
वृत्त | वृत्त | pos=n,comp=y |
ज्ञ | ज्ञ | pos=a,g=m,c=8,n=s |
वर्तमानो | वृत् | pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part |
महीपतिः | महीपति | pos=n,g=m,c=1,n=s |
सुखेन | सुख | pos=n,g=n,c=3,n=s |
अर्थान् | अर्थ | pos=n,g=m,c=2,n=p |
सुख | सुख | pos=n,comp=y |
उदर्कान् | उदर्क | pos=n,g=m,c=2,n=p |
इह | इह | pos=i |
च | च | pos=i |
प्रेत्य | प्रे | pos=vi |
च | च | pos=i |
आप्नुयात् | आप् | pos=v,p=3,n=s,l=vidhilin |