महाभारतम् — 12.7.34
Original
Segmented
धनंजय कृतम् पापम् कल्याणेन उपहन्यते त्यागवत् च पुनः पापम् न अलम् कर्तुम् इति श्रुतिः
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
धनंजय | धनंजय | pos=n,g=m,c=8,n=s |
कृतम् | कृ | pos=va,g=n,c=1,n=s,f=part |
पापम् | पाप | pos=n,g=n,c=1,n=s |
कल्याणेन | कल्याण | pos=n,g=n,c=3,n=s |
उपहन्यते | उपहन् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
त्यागवत् | त्यागवत् | pos=a,g=m,c=1,n=s |
च | च | pos=i |
पुनः | पुनर् | pos=i |
पापम् | पाप | pos=n,g=n,c=2,n=s |
न | न | pos=i |
अलम् | अलम् | pos=i |
कर्तुम् | कृ | pos=vi |
इति | इति | pos=i |
श्रुतिः | श्रुति | pos=n,g=f,c=1,n=s |