महाभारतम् — 12.68.30
Original
Segmented
विवृत्य हि यथाकामम् गृह-द्वाराणि शेरते मनुष्या रक्षिता राज्ञा समन्ताद् अकुतोभयाः
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
विवृत्य | विवृ | pos=vi |
हि | हि | pos=i |
यथाकामम् | यथाकाम | pos=a,g=n,c=2,n=s |
गृह | गृह | pos=n,comp=y |
द्वाराणि | द्वार | pos=n,g=n,c=2,n=p |
शेरते | शी | pos=v,p=3,n=p,l=lat |
मनुष्या | मनुष्य | pos=n,g=m,c=1,n=p |
रक्षिता | रक्ष् | pos=va,g=m,c=1,n=p,f=part |
राज्ञा | राजन् | pos=n,g=m,c=3,n=s |
समन्ताद् | समन्तात् | pos=i |
अकुतोभयाः | अकुतोभय | pos=a,g=m,c=1,n=p |