Original

बहुश्रुत्या गुरुशुश्रूषया वा परस्य वा संहननाद्वदन्ति ।नित्यं धर्मं क्षत्रियो ब्रह्मचारी चरेदेको ह्याश्रमं धर्मकामः ॥ ४ ॥

Segmented

बहु-श्रुत्या गुरु-शुश्रूषया वा परस्य वा संहननाद् वदन्ति नित्यम् धर्मम् क्षत्रियो ब्रह्मचारी चरेद् एको हि आश्रमम् धर्म-कामः

Analysis

Word Lemma Parse
बहु बहु pos=a,comp=y
श्रुत्या श्रुति pos=n,g=f,c=3,n=s
गुरु गुरु pos=n,comp=y
शुश्रूषया शुश्रूषा pos=n,g=f,c=3,n=s
वा वा pos=i
परस्य पर pos=n,g=m,c=6,n=s
वा वा pos=i
संहननाद् संहनन pos=n,g=n,c=5,n=s
वदन्ति वद् pos=v,p=3,n=p,l=lat
नित्यम् नित्यम् pos=i
धर्मम् धर्म pos=n,g=m,c=2,n=s
क्षत्रियो क्षत्रिय pos=n,g=m,c=1,n=s
ब्रह्मचारी ब्रह्मचारिन् pos=n,g=m,c=1,n=s
चरेद् चर् pos=v,p=3,n=s,l=vidhilin
एको एक pos=n,g=m,c=1,n=s
हि हि pos=i
आश्रमम् आश्रम pos=n,g=m,c=2,n=s
धर्म धर्म pos=n,comp=y
कामः काम pos=n,g=m,c=1,n=s