महाभारतम् — 12.63.4
Original
Segmented
शूद्रो राजन् भवति ब्रह्मबन्धुः दुश्चारित्र्यो यः च धर्माद् अपेतः वृषली-पतिः पिशुनो नर्तकः च ग्राम-प्रैष्यः यः च भवेद् विकर्मा
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
शूद्रो | शूद्र | pos=n,g=m,c=1,n=s |
राजन् | राजन् | pos=n,g=m,c=8,n=s |
भवति | भू | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
ब्रह्मबन्धुः | ब्रह्मबन्धु | pos=n,g=m,c=1,n=s |
दुश्चारित्र्यो | दुश्चारित्र्य | pos=a,g=m,c=1,n=s |
यः | यद् | pos=n,g=m,c=1,n=s |
च | च | pos=i |
धर्माद् | धर्म | pos=n,g=m,c=5,n=s |
अपेतः | अपे | pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part |
वृषली | वृषली | pos=n,comp=y |
पतिः | पति | pos=n,g=m,c=1,n=s |
पिशुनो | पिशुन | pos=a,g=m,c=1,n=s |
नर्तकः | नर्तक | pos=n,g=m,c=1,n=s |
च | च | pos=i |
ग्राम | ग्राम | pos=n,comp=y |
प्रैष्यः | प्रैष्य | pos=n,g=m,c=1,n=s |
यः | यद् | pos=n,g=m,c=1,n=s |
च | च | pos=i |
भवेद् | भू | pos=v,p=3,n=s,l=vidhilin |
विकर्मा | विकर्मन् | pos=a,g=m,c=1,n=s |