Original

त्वां प्रपन्नाय भक्ताय गतिमिष्टां जिगीषवे ।यच्छ्रेयः पुण्डरीकाक्ष तद्ध्यायस्व सुरोत्तम ॥ ६२ ॥

Segmented

त्वाम् प्रपन्नाय भक्ताय गतिम् इष्टाम् जिगीषवे यत् श्रेयः पुण्डरीकाक्ष तद् ध्यायस्व सुरोत्तम

Analysis

Word Lemma Parse
त्वाम् त्वद् pos=n,g=,c=2,n=s
प्रपन्नाय प्रपद् pos=va,g=m,c=4,n=s,f=part
भक्ताय भक्त pos=n,g=m,c=4,n=s
गतिम् गति pos=n,g=f,c=2,n=s
इष्टाम् इष् pos=va,g=f,c=2,n=s,f=part
जिगीषवे जिगीषु pos=a,g=m,c=4,n=s
यत् यद् pos=n,g=n,c=1,n=s
श्रेयः श्रेयस् pos=n,g=n,c=1,n=s
पुण्डरीकाक्ष पुण्डरीकाक्ष pos=n,g=m,c=8,n=s
तद् तद् pos=n,g=n,c=2,n=s
ध्यायस्व ध्या pos=v,p=2,n=s,l=lot
सुरोत्तम सुरोत्तम pos=n,g=m,c=8,n=s