महाभारतम् — 12.336.8
Original
Segmented
वैशंपायन उवाच समुपोढेषु अनीकेषु कुरु-पाण्डवयोः मृधे अर्जुने विमनस्के च गीता भगवता स्वयम्
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
वैशंपायन | वैशम्पायन | pos=n,g=m,c=1,n=s |
उवाच | वच् | pos=v,p=3,n=s,l=lit |
समुपोढेषु | समुपवह् | pos=va,g=n,c=7,n=p,f=part |
अनीकेषु | अनीक | pos=n,g=n,c=7,n=p |
कुरु | कुरु | pos=n,comp=y |
पाण्डवयोः | पाण्डव | pos=n,g=m,c=6,n=d |
मृधे | मृध | pos=n,g=m,c=7,n=s |
अर्जुने | अर्जुन | pos=n,g=m,c=7,n=s |
विमनस्के | विमनस्क | pos=a,g=m,c=7,n=s |
च | च | pos=i |
गीता | गीता | pos=n,g=f,c=1,n=s |
भगवता | भगवन्त् | pos=n,g=m,c=3,n=s |
स्वयम् | स्वयम् | pos=i |