महाभारतम् — 12.329.20
Original
Segmented
हैरण्यगर्भात् च वसिष्ठात् हिरण्यकशिपुः शापम् प्राप्तवान् यस्मात् त्वया अन्यः वृतो होता तस्माद् असमाप्त-यज्ञः त्वम् अपूर्वात् सत्त्व-जातात् वधम् प्राप्स्यसि इति तद्-शाप-दानात् हिरण्यकशिपुः प्राप्तवान् वधम्
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
हैरण्यगर्भात् | हैरण्यगर्भ | pos=n,g=m,c=5,n=s |
च | च | pos=i |
वसिष्ठात् | वसिष्ठ | pos=n,g=m,c=5,n=s |
हिरण्यकशिपुः | हिरण्यकशिपु | pos=n,g=m,c=1,n=s |
शापम् | शाप | pos=n,g=m,c=2,n=s |
प्राप्तवान् | प्राप् | pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part |
यस्मात् | यस्मात् | pos=i |
त्वया | त्वद् | pos=n,g=,c=3,n=s |
अन्यः | अन्य | pos=n,g=m,c=1,n=s |
वृतो | वृ | pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part |
होता | होतृ | pos=n,g=m,c=1,n=s |
तस्माद् | तस्मात् | pos=i |
असमाप्त | असमाप्त | pos=a,comp=y |
यज्ञः | यज्ञ | pos=n,g=m,c=1,n=s |
त्वम् | त्वद् | pos=n,g=,c=1,n=s |
अपूर्वात् | अपूर्व | pos=a,g=n,c=5,n=s |
सत्त्व | सत्त्व | pos=n,comp=y |
जातात् | जात | pos=n,g=n,c=5,n=s |
वधम् | वध | pos=n,g=m,c=2,n=s |
प्राप्स्यसि | प्राप् | pos=v,p=2,n=s,l=lrt |
इति | इति | pos=i |
तद् | तद् | pos=n,comp=y |
शाप | शाप | pos=n,comp=y |
दानात् | दान | pos=n,g=n,c=5,n=s |
हिरण्यकशिपुः | हिरण्यकशिपु | pos=n,g=m,c=1,n=s |
प्राप्तवान् | प्राप् | pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part |
वधम् | वध | pos=n,g=m,c=2,n=s |