महाभारतम् — 12.317.12
Original
Segmented
भैषज्यम् एतद् दुःखस्य यद् एतत् न अनुचिन्तयेत् चिन्त्यमानम् हि न व्येति भूयस् च अपि प्रवर्धते
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
भैषज्यम् | भैषज्य | pos=n,g=n,c=1,n=s |
एतद् | एतद् | pos=n,g=n,c=1,n=s |
दुःखस्य | दुःख | pos=n,g=n,c=6,n=s |
यद् | यत् | pos=i |
एतत् | एतद् | pos=n,g=n,c=2,n=s |
न | न | pos=i |
अनुचिन्तयेत् | अनुचिन्तय् | pos=v,p=3,n=s,l=vidhilin |
चिन्त्यमानम् | चिन्तय् | pos=va,g=n,c=1,n=s,f=part |
हि | हि | pos=i |
न | न | pos=i |
व्येति | वी | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
भूयस् | भूयस् | pos=i |
च | च | pos=i |
अपि | अपि | pos=i |
प्रवर्धते | प्रवृध् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |