महाभारतम् — 12.314.9
Original
Segmented
यो ऽन्यो ऽस्ति मत्तो ऽभ्यधिको विप्रा यस्य अधिकम् प्रियाः यो ब्रह्मण्यो द्वितीयो ऽस्ति त्रिषु लोकेषु वीर्यवान्
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
यो | यद् | pos=n,g=m,c=1,n=s |
ऽन्यो | अन्य | pos=n,g=m,c=1,n=s |
ऽस्ति | अस् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
मत्तो | मद् | pos=n,g=m,c=5,n=s |
ऽभ्यधिको | अभ्यधिक | pos=a,g=m,c=1,n=s |
विप्रा | विप्र | pos=n,g=m,c=8,n=p |
यस्य | यद् | pos=n,g=m,c=6,n=s |
अधिकम् | अधिक | pos=a,g=n,c=1,n=s |
प्रियाः | प्रिय | pos=a,g=m,c=8,n=p |
यो | यद् | pos=n,g=m,c=1,n=s |
ब्रह्मण्यो | ब्रह्मण्य | pos=n,g=m,c=1,n=s |
द्वितीयो | द्वितीय | pos=a,g=m,c=1,n=s |
ऽस्ति | अस् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
त्रिषु | त्रि | pos=n,g=m,c=7,n=p |
लोकेषु | लोक | pos=n,g=m,c=7,n=p |
वीर्यवान् | वीर्यवत् | pos=a,g=m,c=1,n=s |