महाभारतम् — 12.303.6
Original
Segmented
यदा अज्ञानेन कुर्वीत गुण-सर्गम् पुनः पुनः यदा आत्मानम् न जानीते तदा अव्यक्तम् इह उच्यते
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
यदा | यदा | pos=i |
अज्ञानेन | अज्ञान | pos=n,g=n,c=3,n=s |
कुर्वीत | कृ | pos=v,p=3,n=s,l=vidhilin |
गुण | गुण | pos=n,comp=y |
सर्गम् | सर्ग | pos=n,g=m,c=2,n=s |
पुनः | पुनर् | pos=i |
पुनः | पुनर् | pos=i |
यदा | यदा | pos=i |
आत्मानम् | आत्मन् | pos=n,g=m,c=2,n=s |
न | न | pos=i |
जानीते | ज्ञा | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
तदा | तदा | pos=i |
अव्यक्तम् | अव्यक्त | pos=n,g=n,c=1,n=s |
इह | इह | pos=i |
उच्यते | वच् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |