महाभारतम् — 12.30.41
Original
Segmented
सा अनुनीता बहुविधम् पर्वतेन महात्मना शाप-दोषम् च तम् भर्तुः श्रुत्वा स्वाम् प्रकृतिम् गता पर्वतो ऽथ ययौ स्वर्गम् नारदो ऽथ ययौ गृहान्
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
सा | तद् | pos=n,g=f,c=1,n=s |
अनुनीता | अनुनी | pos=va,g=f,c=1,n=s,f=part |
बहुविधम् | बहुविध | pos=a,g=n,c=2,n=s |
पर्वतेन | पर्वत | pos=n,g=m,c=3,n=s |
महात्मना | महात्मन् | pos=a,g=m,c=3,n=s |
शाप | शाप | pos=n,comp=y |
दोषम् | दोष | pos=n,g=m,c=2,n=s |
च | च | pos=i |
तम् | तद् | pos=n,g=m,c=2,n=s |
भर्तुः | भर्तृ | pos=n,g=m,c=6,n=s |
श्रुत्वा | श्रु | pos=vi |
स्वाम् | स्व | pos=a,g=f,c=2,n=s |
प्रकृतिम् | प्रकृति | pos=n,g=f,c=2,n=s |
गता | गम् | pos=va,g=f,c=1,n=s,f=part |
पर्वतो | पर्वत | pos=n,g=m,c=1,n=s |
ऽथ | अथ | pos=i |
ययौ | या | pos=v,p=3,n=s,l=lit |
स्वर्गम् | स्वर्ग | pos=n,g=m,c=2,n=s |
नारदो | नारद | pos=n,g=m,c=1,n=s |
ऽथ | अथ | pos=i |
ययौ | या | pos=v,p=3,n=s,l=lit |
गृहान् | गृह | pos=n,g=m,c=2,n=p |