महाभारतम् — 12.292.38
Original
Segmented
ममत्वेन आवृतः नित्यम् तत्र एव परिवर्तते सर्ग-कोटि-सहस्राणि मरण-अन्त मूर्तिषु
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
ममत्वेन | ममत्व | pos=n,g=n,c=3,n=s |
आवृतः | आवृ | pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part |
नित्यम् | नित्यम् | pos=i |
तत्र | तत्र | pos=i |
एव | एव | pos=i |
परिवर्तते | परिवृत् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
सर्ग | सर्ग | pos=n,comp=y |
कोटि | कोटि | pos=n,comp=y |
सहस्राणि | सहस्र | pos=n,g=n,c=2,n=p |
मरण | मरण | pos=n,comp=y |
अन्त | अन्त | pos=n,g=f,c=7,n=p |
मूर्तिषु | मूर्ति | pos=n,g=f,c=7,n=p |