महाभारतम् — 12.292.37
Original
Segmented
य एवम् वेत्ति वै नित्यम् निरात्मन्-आत्म-गुणैः वृतः तेन देव-मनुष्येषु निरये च उपपद्यते
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
य | यद् | pos=n,g=m,c=1,n=s |
एवम् | एवम् | pos=i |
वेत्ति | विद् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
वै | वै | pos=i |
नित्यम् | नित्यम् | pos=i |
निरात्मन् | निरात्मन् | pos=a,comp=y |
आत्म | आत्मन् | pos=n,comp=y |
गुणैः | गुण | pos=n,g=m,c=3,n=p |
वृतः | वृ | pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part |
तेन | तद् | pos=n,g=m,c=3,n=s |
देव | देव | pos=n,comp=y |
मनुष्येषु | मनुष्य | pos=n,g=m,c=7,n=p |
निरये | निरय | pos=n,g=m,c=7,n=s |
च | च | pos=i |
उपपद्यते | उपपद् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |