महाभारतम् — 12.286.3
Original
Segmented
रण-अजिरे यत्र शर-अग्नि-संस्तरे नृप-आत्मजः घातम् अवाप्य दह्यते प्रयाति लोकान् अमरैः सु दुर्लभान् निषेवते स्वर्ग-फलम् यथासुखम्
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
रण | रण | pos=n,comp=y |
अजिरे | अजिर | pos=n,g=n,c=7,n=s |
यत्र | यत्र | pos=i |
शर | शर | pos=n,comp=y |
अग्नि | अग्नि | pos=n,comp=y |
संस्तरे | संस्तर | pos=n,g=m,c=7,n=s |
नृप | नृप | pos=n,comp=y |
आत्मजः | आत्मज | pos=n,g=m,c=1,n=s |
घातम् | घात | pos=n,g=m,c=2,n=s |
अवाप्य | अवाप् | pos=vi |
दह्यते | दह् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
प्रयाति | प्रया | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
लोकान् | लोक | pos=n,g=m,c=2,n=p |
अमरैः | अमर | pos=n,g=m,c=3,n=p |
सु | सु | pos=i |
दुर्लभान् | दुर्लभ | pos=a,g=m,c=2,n=p |
निषेवते | निषेव् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
स्वर्ग | स्वर्ग | pos=n,comp=y |
फलम् | फल | pos=n,g=n,c=2,n=s |
यथासुखम् | यथासुखम् | pos=i |