महाभारतम् — 12.284.4
Original
Segmented
एवम् तस्य प्रवृत्तस्य नित्यम् एव अनुपः राग-द्वेषौ विवर्धेते हि अनित्य-त्वम् अपश्यतः
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
एवम् | एवम् | pos=i |
तस्य | तद् | pos=n,g=m,c=6,n=s |
प्रवृत्तस्य | प्रवृत् | pos=va,g=m,c=6,n=s,f=part |
नित्यम् | नित्यम् | pos=i |
एव | एव | pos=i |
अनुपः | अनुपश् | pos=va,g=m,c=6,n=s,f=part |
राग | राग | pos=n,comp=y |
द्वेषौ | द्वेष | pos=n,g=m,c=1,n=d |
विवर्धेते | विवृध् | pos=v,p=3,n=d,l=lat |
हि | हि | pos=i |
अनित्य | अनित्य | pos=a,comp=y |
त्वम् | त्व | pos=n,g=n,c=2,n=s |
अपश्यतः | अपश्यत् | pos=a,g=m,c=6,n=s |