महाभारतम् — 12.284.26
Original
Segmented
नष्ट-प्रज्ञः यदा भवति तदा न्यायम् न पश्यति तस्मात् सुख-क्षये प्राप्ते पुमान् उग्रम् तपः चरेत्
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
नष्ट | नश् | pos=va,comp=y,f=part |
प्रज्ञः | प्रज्ञा | pos=n,g=m,c=1,n=s |
यदा | यदा | pos=i |
भवति | भू | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
तदा | तदा | pos=i |
न्यायम् | न्याय | pos=n,g=m,c=2,n=s |
न | न | pos=i |
पश्यति | दृश् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
तस्मात् | तस्मात् | pos=i |
सुख | सुख | pos=n,comp=y |
क्षये | क्षय | pos=n,g=m,c=7,n=s |
प्राप्ते | प्राप् | pos=va,g=m,c=7,n=s,f=part |
पुमान् | पुंस् | pos=n,g=m,c=1,n=s |
उग्रम् | उग्र | pos=a,g=n,c=2,n=s |
तपः | तपस् | pos=n,g=n,c=2,n=s |
चरेत् | चर् | pos=v,p=3,n=s,l=vidhilin |