महाभारतम् — 12.283.30
Original
Segmented
यदा व्यपेत-हृल्लेखम् मनो भवति तस्य वै न अनृतम् च एव भवति तदा कल्याणम् ऋच्छति
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
यदा | यदा | pos=i |
व्यपेत | व्यपे | pos=va,comp=y,f=part |
हृल्लेखम् | हृल्लेख | pos=n,g=n,c=1,n=s |
मनो | मनस् | pos=n,g=n,c=1,n=s |
भवति | भू | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
तस्य | तद् | pos=n,g=m,c=6,n=s |
वै | वै | pos=i |
न | न | pos=i |
अनृतम् | अनृत | pos=a,g=n,c=1,n=s |
च | च | pos=i |
एव | एव | pos=i |
भवति | भू | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
तदा | तदा | pos=i |
कल्याणम् | कल्याण | pos=a,g=n,c=2,n=s |
ऋच्छति | ऋछ् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |