महाभारतम् — 12.279.17
Original
Segmented
कदाचित् सुकृतम् तात कूटस्थम् इव तिष्ठति मज्जमानस्य संसारे यावद् दुःखाद् विमुच्यते
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
कदाचित् | कदाचिद् | pos=i |
सुकृतम् | सुकृत | pos=n,g=n,c=1,n=s |
तात | तात | pos=n,g=m,c=8,n=s |
कूटस्थम् | कूटस्थ | pos=a,g=n,c=1,n=s |
इव | इव | pos=i |
तिष्ठति | स्था | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
मज्जमानस्य | मज्ज् | pos=va,g=m,c=6,n=s,f=part |
संसारे | संसार | pos=n,g=m,c=7,n=s |
यावद् | यावत् | pos=a,g=n,c=1,n=s |
दुःखाद् | दुःख | pos=n,g=n,c=5,n=s |
विमुच्यते | विमुच् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |