महाभारतम् — 12.276.51
Original
Segmented
अशुचीन् यत्र पश्येत ब्राह्मणान् वृत्ति-कर्शितान् त्यजेत् तद् राष्ट्रम् आसन्नम् उपसृष्टम् इव आमिषम्
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
अशुचीन् | अशुचि | pos=a,g=m,c=2,n=p |
यत्र | यत्र | pos=i |
पश्येत | पश् | pos=v,p=3,n=s,l=vidhilin |
ब्राह्मणान् | ब्राह्मण | pos=n,g=m,c=2,n=p |
वृत्ति | वृत्ति | pos=n,comp=y |
कर्शितान् | कर्शय् | pos=va,g=m,c=2,n=p,f=part |
त्यजेत् | त्यज् | pos=v,p=3,n=s,l=vidhilin |
तद् | तद् | pos=n,g=n,c=2,n=s |
राष्ट्रम् | राष्ट्र | pos=n,g=n,c=2,n=s |
आसन्नम् | आसन्न | pos=a,g=n,c=2,n=s |
उपसृष्टम् | उपसृज् | pos=va,g=n,c=2,n=s,f=part |
इव | इव | pos=i |
आमिषम् | आमिष | pos=n,g=n,c=2,n=s |