Original

प्रीते तु त्वयि धर्मज्ञ सर्वलोकेश्वरे प्रभो ।शक्रादपगमिष्यामि निवासं तु विधत्स्व मे ॥ २५ ॥

Segmented

प्रीते तु त्वयि धर्म-ज्ञ सर्व-लोक-ईश्वरे प्रभो शक्राद् अपगमिष्यामि निवासम् तु विधत्स्व मे

Analysis

Word Lemma Parse
प्रीते प्री pos=va,g=m,c=7,n=s,f=part
तु तु pos=i
त्वयि त्वद् pos=n,g=,c=7,n=s
धर्म धर्म pos=n,comp=y
ज्ञ ज्ञ pos=a,g=m,c=8,n=s
सर्व सर्व pos=n,comp=y
लोक लोक pos=n,comp=y
ईश्वरे ईश्वर pos=n,g=m,c=7,n=s
प्रभो प्रभु pos=n,g=m,c=8,n=s
शक्राद् शक्र pos=n,g=m,c=5,n=s
अपगमिष्यामि अपगम् pos=v,p=1,n=s,l=lrt
निवासम् निवास pos=n,g=m,c=2,n=s
तु तु pos=i
विधत्स्व विधा pos=v,p=2,n=s,l=lot
मे मद् pos=n,g=,c=6,n=s