महाभारतम् — 12.271.64
Original
Segmented
युधिष्ठिर उवाच वृत्रेण परम-अर्थ-ज्ञ दृष्टा मन्ये ऽऽत्मनो शुभा तस्मात् स सुखितो न शोचति पितामह
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
युधिष्ठिर | युधिष्ठिर | pos=n,g=m,c=1,n=s |
उवाच | वच् | pos=v,p=3,n=s,l=lit |
वृत्रेण | वृत्र | pos=n,g=m,c=3,n=s |
परम | परम | pos=a,comp=y |
अर्थ | अर्थ | pos=n,comp=y |
ज्ञ | ज्ञ | pos=a,g=m,c=8,n=s |
दृष्टा | दृश् | pos=va,g=f,c=1,n=s,f=part |
मन्ये | मन् | pos=v,p=1,n=s,l=lat |
ऽऽत्मनो | गति | pos=n,g=f,c=1,n=s |
शुभा | शुभ | pos=a,g=f,c=1,n=s |
तस्मात् | तस्मात् | pos=i |
स | तद् | pos=n,g=m,c=1,n=s |
सुखितो | सुखित | pos=a,g=m,c=1,n=s |
न | न | pos=i |
शोचति | शुच् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
पितामह | पितामह | pos=n,g=m,c=8,n=s |