महाभारतम् — 12.271.43
Original
Segmented
स देव-लोके विहरति अभीक्ष्णम् ततस् च्युतः मानुष-ताम् उपैति संहार-विक्षेप-शतानि च अष्टौ मर्त्येषु तिष्ठन्न् अमृत-त्वम् एति
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
स | तद् | pos=n,g=m,c=1,n=s |
देव | देव | pos=n,comp=y |
लोके | लोक | pos=n,g=m,c=7,n=s |
विहरति | विहृ | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
अभीक्ष्णम् | अभीक्ष्णम् | pos=i |
ततस् | ततस् | pos=i |
च्युतः | च्यु | pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part |
मानुष | मानुष | pos=a,comp=y |
ताम् | ता | pos=n,g=f,c=2,n=s |
उपैति | उपे | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
संहार | संहार | pos=n,comp=y |
विक्षेप | विक्षेप | pos=n,comp=y |
शतानि | शत | pos=n,g=n,c=2,n=p |
च | च | pos=i |
अष्टौ | अष्टन् | pos=n,g=n,c=2,n=p |
मर्त्येषु | मर्त्य | pos=n,g=m,c=7,n=p |
तिष्ठन्न् | स्था | pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part |
अमृत | अमृत | pos=a,comp=y |
त्वम् | त्व | pos=n,g=n,c=2,n=s |
एति | इ | pos=v,p=3,n=s,l=lat |