महाभारतम् — 12.259.30
Original
Segmented
यत्र वै पाप-कृत् क्लेश्यो न महद् दुःखम् अर्छति वर्धन्ते तत्र पापानि धर्मो ह्रसति च ध्रुवम् इति कारुण्य-शीलः तु विद्वान् वै ब्राह्मणो ऽन्वशात्
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
यत्र | यत्र | pos=i |
वै | वै | pos=i |
पाप | पाप | pos=n,comp=y |
कृत् | कृत् | pos=a,g=m,c=1,n=s |
क्लेश्यो | क्लिश् | pos=va,g=m,c=1,n=s,f=krtya |
न | न | pos=i |
महद् | महत् | pos=a,g=n,c=2,n=s |
दुःखम् | दुःख | pos=n,g=n,c=2,n=s |
अर्छति | ऋछ् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
वर्धन्ते | वृध् | pos=v,p=3,n=p,l=lat |
तत्र | तत्र | pos=i |
पापानि | पाप | pos=n,g=n,c=1,n=p |
धर्मो | धर्म | pos=n,g=m,c=1,n=s |
ह्रसति | ह्रस् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
च | च | pos=i |
ध्रुवम् | ध्रुवम् | pos=i |
इति | इति | pos=i |
कारुण्य | कारुण्य | pos=n,comp=y |
शीलः | शील | pos=n,g=m,c=1,n=s |
तु | तु | pos=i |
विद्वान् | विद्वस् | pos=a,g=m,c=1,n=s |
वै | वै | pos=i |
ब्राह्मणो | ब्राह्मण | pos=n,g=m,c=1,n=s |
ऽन्वशात् | अनुशास् | pos=v,p=3,n=s,l=lan |