Original

छिन्नस्थूणं वृषं दृष्ट्वा विरावं च गवां भृशम् ।गोग्रहे यज्ञवाटस्य प्रेक्षमाणः स पार्थिवः ॥ २ ॥

Segmented

छिन्न-स्थूणम् वृषम् दृष्ट्वा विरावम् च गवाम् भृशम् गो ग्रहे यज्ञवाटस्य प्रेक्षमाणः स पार्थिवः

Analysis

Word Lemma Parse
छिन्न छिद् pos=va,comp=y,f=part
स्थूणम् स्थूणा pos=n,g=m,c=2,n=s
वृषम् वृष pos=n,g=m,c=2,n=s
दृष्ट्वा दृश् pos=vi
विरावम् विराव pos=n,g=m,c=2,n=s
pos=i
गवाम् गो pos=n,g=,c=6,n=p
भृशम् भृश pos=a,g=m,c=2,n=s
गो गो pos=i
ग्रहे ग्रह pos=n,g=m,c=7,n=s
यज्ञवाटस्य यज्ञवाट pos=n,g=m,c=6,n=s
प्रेक्षमाणः प्रेक्ष् pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part
तद् pos=n,g=m,c=1,n=s
पार्थिवः पार्थिव pos=n,g=m,c=1,n=s