Original

अश्रद्धा परमं पापं श्रद्धा पापप्रमोचनी ।जहाति पापं श्रद्धावान्सर्पो जीर्णामिव त्वचम् ॥ १२ ॥

Segmented

अश्रद्धा परमम् पापम् श्रद्धा पाप-प्रमोचनी जहाति पापम् श्रद्धावान् सर्पो जीर्णाम् इव त्वचम्

Analysis

Word Lemma Parse
अश्रद्धा अश्रद्धा pos=n,g=f,c=1,n=s
परमम् परम pos=a,g=n,c=1,n=s
पापम् पाप pos=n,g=n,c=1,n=s
श्रद्धा श्रद्धा pos=n,g=f,c=1,n=s
पाप पाप pos=n,comp=y
प्रमोचनी प्रमोचन pos=a,g=f,c=1,n=s
जहाति हा pos=v,p=3,n=s,l=lat
पापम् पाप pos=n,g=n,c=2,n=s
श्रद्धावान् श्रद्धावत् pos=a,g=m,c=1,n=s
सर्पो सर्प pos=n,g=m,c=1,n=s
जीर्णाम् जीर्ण pos=a,g=f,c=2,n=s
इव इव pos=i
त्वचम् त्वच् pos=n,g=f,c=2,n=s