महाभारतम् — 12.245.10
Original
Segmented
प्रीणितः च अपि भवति महतो ऽर्थान् अवाप्य च करोति पुण्यम् तत्र अपि जाग्रन्न् इव च पश्यति
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
प्रीणितः | प्रीणय् | pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part |
च | च | pos=i |
अपि | अपि | pos=i |
भवति | भू | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
महतो | महत् | pos=a,g=m,c=2,n=p |
ऽर्थान् | अर्थ | pos=n,g=m,c=2,n=p |
अवाप्य | अवाप् | pos=vi |
च | च | pos=i |
करोति | कृ | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
पुण्यम् | पुण्य | pos=n,g=n,c=2,n=s |
तत्र | तत्र | pos=i |
अपि | अपि | pos=i |
जाग्रन्न् | जागृ | pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part |
इव | इव | pos=i |
च | च | pos=i |
पश्यति | दृश् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |