महाभारतम् — 12.239.7
Original
Segmented
शुक उवाच अकरोद् यत् शरीरेषु कथम् तद् उपलक्षयेत् इन्द्रियाणि गुणाः केचित् कथम् तान् उपलक्षयेत्
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
शुक | शुक | pos=n,g=m,c=1,n=s |
उवाच | वच् | pos=v,p=3,n=s,l=lit |
अकरोद् | कृ | pos=v,p=3,n=s,l=lan |
यत् | यद् | pos=n,g=n,c=2,n=s |
शरीरेषु | शरीर | pos=n,g=n,c=7,n=p |
कथम् | कथम् | pos=i |
तद् | तद् | pos=n,g=n,c=2,n=s |
उपलक्षयेत् | उपलक्षय् | pos=v,p=3,n=s,l=vidhilin |
इन्द्रियाणि | इन्द्रिय | pos=n,g=n,c=1,n=p |
गुणाः | गुण | pos=n,g=m,c=1,n=p |
केचित् | कश्चित् | pos=n,g=m,c=1,n=p |
कथम् | कथम् | pos=i |
तान् | तद् | pos=n,g=m,c=2,n=p |
उपलक्षयेत् | उपलक्षय् | pos=v,p=3,n=s,l=vidhilin |