महाभारतम् — 12.222.20
Original
Segmented
अमृतस्य इव संतृप्येद् अवमानस्य तत्त्व-विद् विषस्य इव उद्विजेत् नित्यम् संमानस्य विचक्षणः
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
अमृतस्य | अमृत | pos=n,g=n,c=6,n=s |
इव | इव | pos=i |
संतृप्येद् | संतृप् | pos=v,p=3,n=s,l=vidhilin |
अवमानस्य | अवमान | pos=n,g=m,c=6,n=s |
तत्त्व | तत्त्व | pos=n,comp=y |
विद् | विद् | pos=a,g=m,c=1,n=s |
विषस्य | विष | pos=n,g=n,c=6,n=s |
इव | इव | pos=i |
उद्विजेत् | उद्विज् | pos=v,p=3,n=s,l=vidhilin |
नित्यम् | नित्यम् | pos=i |
संमानस्य | सम्मान | pos=n,g=m,c=6,n=s |
विचक्षणः | विचक्षण | pos=a,g=m,c=1,n=s |