Original

को हि विश्वासमर्थेषु शरीरे वा शरीरभृत् ।कर्तुमुत्सहते लोके दृष्ट्वा संप्रस्थितं जगत् ॥ ९१ ॥

Segmented

कर्तुम् उत्सहते लोके दृष्ट्वा सम्प्रस्थितम् जगत्

Analysis

Word Lemma Parse
कर्तुम् कृ pos=vi
उत्सहते उत्सह् pos=v,p=3,n=s,l=lat
लोके लोक pos=n,g=m,c=7,n=s
दृष्ट्वा दृश् pos=vi
सम्प्रस्थितम् सम्प्रस्था pos=va,g=n,c=2,n=s,f=part
जगत् जगन्त् pos=n,g=n,c=2,n=s