Original

भृत्यातिथिषु यो भुङ्क्ते भुक्तवत्सु सदा स ह ।अमृतं सकलं भुङ्क्त इति विद्धि युधिष्ठिर ॥ १२ ॥

Segmented

भृत्य-अतिथि यो भुङ्क्ते भुक्तवत्सु सदा स ह अमृतम् सकलम् भुङ्क्त इति विद्धि युधिष्ठिर

Analysis

Word Lemma Parse
भृत्य भृत्य pos=n,comp=y
अतिथि अतिथि pos=n,g=m,c=7,n=p
यो यद् pos=n,g=m,c=1,n=s
भुङ्क्ते भुज् pos=v,p=3,n=s,l=lat
भुक्तवत्सु भुज् pos=va,g=m,c=7,n=p,f=part
सदा सदा pos=i
तद् pos=n,g=m,c=1,n=s
pos=i
अमृतम् अमृत pos=n,g=n,c=2,n=s
सकलम् सकल pos=a,g=n,c=2,n=s
भुङ्क्त भुज् pos=v,p=3,n=s,l=lat
इति इति pos=i
विद्धि विद् pos=v,p=2,n=s,l=lot
युधिष्ठिर युधिष्ठिर pos=n,g=m,c=8,n=s