Original

युधिष्ठिर उवाच ।केन वृत्तेन वृत्तज्ञो जनको मिथिलाधिपः ।जगाम मोक्षं धर्मज्ञो भोगानुत्सृज्य मानुषान् ॥ १ ॥

Segmented

युधिष्ठिर उवाच केन वृत्तेन वृत्त-ज्ञः जनको मिथिला-अधिपः जगाम मोक्षम् धर्म-ज्ञः भोगान् उत्सृज्य मानुषान्

Analysis

Word Lemma Parse
युधिष्ठिर युधिष्ठिर pos=n,g=m,c=1,n=s
उवाच वच् pos=v,p=3,n=s,l=lit
केन pos=n,g=n,c=3,n=s
वृत्तेन वृत्त pos=n,g=n,c=3,n=s
वृत्त वृत्त pos=n,comp=y
ज्ञः ज्ञ pos=a,g=m,c=1,n=s
जनको जनक pos=n,g=m,c=1,n=s
मिथिला मिथिला pos=n,comp=y
अधिपः अधिप pos=n,g=m,c=1,n=s
जगाम गम् pos=v,p=3,n=s,l=lit
मोक्षम् मोक्ष pos=n,g=m,c=2,n=s
धर्म धर्म pos=n,comp=y
ज्ञः ज्ञ pos=a,g=m,c=1,n=s
भोगान् भोग pos=n,g=m,c=2,n=p
उत्सृज्य उत्सृज् pos=vi
मानुषान् मानुष pos=a,g=m,c=2,n=p