Original

ब्राह्मण उवाच ।कृतं लोकैर्हि मे धर्म गच्छ च त्वं यथासुखम् ।बहुदुःखसुखं देहं नोत्सृजेयमहं विभो ॥ २२ ॥

Segmented

ब्राह्मण उवाच कृतम् लोकैः हि मे धर्म गच्छ च त्वम् यथासुखम् बहु-दुःख-सुखम् देहम् न उत्सृजेयम् अहम् विभो

Analysis

Word Lemma Parse
ब्राह्मण ब्राह्मण pos=n,g=m,c=1,n=s
उवाच वच् pos=v,p=3,n=s,l=lit
कृतम् कृ pos=va,g=n,c=1,n=s,f=part
लोकैः लोक pos=n,g=m,c=3,n=p
हि हि pos=i
मे मद् pos=n,g=,c=6,n=s
धर्म धर्म pos=n,g=m,c=8,n=s
गच्छ गम् pos=v,p=2,n=s,l=lot
pos=i
त्वम् त्वद् pos=n,g=,c=1,n=s
यथासुखम् यथासुखम् pos=i
बहु बहु pos=a,comp=y
दुःख दुःख pos=n,comp=y
सुखम् सुख pos=n,g=m,c=2,n=s
देहम् देह pos=n,g=m,c=2,n=s
pos=i
उत्सृजेयम् उत्सृज् pos=v,p=1,n=s,l=vidhilin
अहम् मद् pos=n,g=,c=1,n=s
विभो विभु pos=a,g=m,c=8,n=s