महाभारतम् — 12.186.32
Original
Segmented
देवा योनिः मनुष्याणाम् देवानाम् अमृतम् दिवि प्रेत्यभावे सुखम् धर्मतः शश्वत् तैः उपभुज्यते
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
देवा | देव | pos=n,g=m,c=1,n=p |
योनिः | योनि | pos=n,g=m,c=1,n=s |
मनुष्याणाम् | मनुष्य | pos=n,g=m,c=6,n=p |
देवानाम् | देव | pos=n,g=m,c=6,n=p |
अमृतम् | अमृत | pos=n,g=n,c=1,n=s |
दिवि | दिव् | pos=n,g=,c=7,n=s |
प्रेत्यभावे | प्रेत्यभाव | pos=n,g=m,c=7,n=s |
सुखम् | सुख | pos=n,g=n,c=1,n=s |
धर्मतः | धर्म | pos=n,g=m,c=5,n=s |
शश्वत् | शश्वत् | pos=i |
तैः | तद् | pos=n,g=m,c=3,n=p |
उपभुज्यते | उपभुज् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |