महाभारतम् — 12.175.23
Original
Segmented
भृगुः उवाच अनन्तम् एतद् आकाशम् सिद्ध-चारण-सेवितम् रम्यम् नाना आश्रय-आकीर्णम् यस्य अन्तः न अधिगम्यते
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
भृगुः | भृगु | pos=n,g=m,c=1,n=s |
उवाच | वच् | pos=v,p=3,n=s,l=lit |
अनन्तम् | अनन्त | pos=a,g=n,c=1,n=s |
एतद् | एतद् | pos=n,g=n,c=1,n=s |
आकाशम् | आकाश | pos=n,g=n,c=1,n=s |
सिद्ध | सिद्ध | pos=n,comp=y |
चारण | चारण | pos=n,comp=y |
सेवितम् | सेव् | pos=va,g=n,c=1,n=s,f=part |
रम्यम् | रम्य | pos=a,g=n,c=1,n=s |
नाना | नाना | pos=i |
आश्रय | आश्रय | pos=n,comp=y |
आकीर्णम् | आकृ | pos=va,g=n,c=1,n=s,f=part |
यस्य | यद् | pos=n,g=n,c=6,n=s |
अन्तः | अन्त | pos=n,g=m,c=1,n=s |
न | न | pos=i |
अधिगम्यते | अधिगम् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |